आज के आर्थिक हालात में कर्ज़ लेना (Loan) ज़रूरत बन गया है – चाहे घर खरीदना हो, बिज़नेस शुरू करना हो या मेडिकल इमरजेंसी। पर नौकरी जाने (Job Loss), बिज़नेस घाटा या स्वास्थ्य संकट जैसी स्थितियों में EMI चुकाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में बैंक और उनके रिकवरी एजेंट्स (Recovery Agents) द्वारा की जाने वाली परेशानी लोगों के लिए तनाव का कारण बनती थी।
इन्हीं समस्याओं को देखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने कर्जदारों की सुरक्षा के लिए नई गाइडलाइन्स जारी की हैं। इनका मकसद वित्तीय संस्थानों (Financial Institutions) को ग्राहकों के साथ इंसानियत से पेश आने के लिए बाध्य करना है।
RBI की नई गाइडलाइन्स का महत्व
RBI के नए नियमों के मुताबिक, अब बैंक या उनके एजेंट मनमर्जी से कर्जदारों को हैरास नहीं कर सकते। पहले रिकवरी एजेंट कभी भी फोन करके धमकाते थे, गाली देते थे या अपमानजनक भाषा इस्तेमाल करते थे। अब ऐसा करना पूरी तरह प्रतिबंधित है।
ये नियम न सिर्फ कर्जदारों की इज्ज़त बचाएँगे, बल्कि बैंकिंग सिस्टम में पारदर्शिता (Transparency) भी लाएँगे। इससे ग्राहकों का बैंकों पर भरोसा बढ़ेगा।
लोनधारकों के कानूनी अधिकार
RBI की गाइडलाइन्स के तहत कर्जदारों को ये अधिकार मिले हैं:
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अगर बैंक या एजेंट अनुचित व्यवहार करे तो पुलिस में शिकायत कर सकते हैं।
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बैंक से मुआवज़े (Compensation) की माँग कर सकते हैं।
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किसी भी तरह की मेंटल या फिजिकल हरासमेंट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का अधिकार।
कर्जदारों को समझना चाहिए कि फाइनेंशियल प्रॉब्लम्स आम हैं, और उन्हें सम्मान के साथ डील करने का हक़ है।
शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया और ज़रूरी दस्तावेज
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शिकायत कहाँ करें?
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बैंक की ग्रिवंसे सेल (Grievance Cell)
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RBI का कस्टमर केयर डिपार्टमेंट
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गंभीर मामलों में पुलिस स्टेशन में FIR
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ज़रूरी दस्तावेज:
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फोन कॉल्स की रिकॉर्डिंग
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धमकी भरे मैसेज के स्क्रीनशॉट
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गवाहों के बयान (Witness Statements)
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बैंक अपने रिकवरी एजेंट्स के कार्यों की ज़िम्मेदारी लेने को कानूनी तौर पर बाध्य हैं।
रिकवरी एजेंटों के लिए समय सीमा
RBI ने स्पष्ट किया है कि रिकवरी एजेंट्स:
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सिर्फ सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक फोन/मिलने आ सकते हैं।
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रात में, छुट्टी के दिन या त्योहारों पर किसी तरह का संपर्क वर्जित है।
अगर कोई एजेंट नियम तोड़े, तो तुरंत RBI हेल्पलाइन (Toll-Free: 1800 1234) पर रिपोर्ट करें। यह कदम कर्जदारों की प्राइवेसी (Privacy) सुनिश्चित करेगा।
EMI बाउंस होने पर मिलने वाला समय
जब कोई कर्जदार लगातार 3 EMI नहीं भर पाता:
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बैंक उसे पहला नोटिस भेजेगा।
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समस्या सुलझाने के लिए 90 दिन का समय देगा।
अगर 4th-5th EMI भी न चुकाई जाए:
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बैंक दूसरा नोटिस भेजेगा, जिसमें प्रॉपर्टी ऑक्शन (Auction) की चेतावनी होगी।
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इस दौरान भी बैंक/एजेंट अनुचित दबाव नहीं डाल सकते।
रिकवरी एजेंटों के व्यवहार की सीमाएँ
RBI ने एजेंट्स के लिए ये नियम तय किए हैं:
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धमकाना, गाली देना या शारीरिक उत्पीड़न सख्त मना है।
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कर्जदार के रिश्तेदारों या दोस्तों को परेशान नहीं कर सकते।
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किसी के घर या ऑफिस में जबरन घुस नहीं सकते।
नियम तोड़ने पर एजेंट के खिलाफ कानूनी केस हो सकता है और बैंक का लाइसेंस रद्द हो सकता है।
प्रॉपर्टी नीलामी की प्रक्रिया और कानूनी सुरक्षा
जब कर्जदार बिल्कुल EMI नहीं चुका पाता:
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बैंक कोर्ट की अनुमति से ही प्रॉपर्टी नीलाम कर सकता है।
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नीलामी प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी (Transparent) होगी।
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अगर नीलामी से मिली रकम कर्ज़ से ज़्यादा होगी, तो बची हुई रकम कर्जदार को लौटाई जाएगी।
कर्जदार को नीलामी से पहले अपना पक्ष रखने और कोर्ट से सुरक्षा माँगने का अधिकार है।
निष्कर्ष
RBI की ये गाइडलाइन्स कर्जदारों को कानूनी सुरक्षा कवच देती हैं। ये नियम बैंकों और ग्राहकों के बीच विश्वास बढ़ाएँगे और वित्तीय अनुशासन (Financial Discipline) को मज़बूत करेंगे। हर लोनधारक को अपने अधिकारों की जानकारी रखनी चाहिए और ज़रूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल करना चाहिए।
डिस्क्लेमर (Disclaimer)
यह जानकारी सामान्य शिक्षा के उद्देश्य से दी गई है। किसी भी वित्तीय या कानूनी निर्णय से पहले प्रमाणित विशेषज्ञ से सलाह ज़रूर लें। RBI के नियम बदल सकते हैं, इसलिए Official साइट (rbi.org.in) से Update चेक करते रहें।
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